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Saturday, December 11, 2021

Aparna Jha




 वो कहते हैं ना कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मेरी प्रिय सखि अपर्णा झा जी ने ये बात साबित भी करी है। चलिए आज अपने रूबरू कार्यक्रम के अंतर्गत पहली कड़ी में रूबरु करवाते हैं अपर्णा झा जी से। 

अपर्णा जी एक बहुत अच्छी लेखिका तो हैं ही, ये तो हमारे बहुत फेसबुक मित्र जानते हैं। पिछले कुछ समय से अपर्णा जी ने कलम के साथ साथ ब्रश भी हाथ में उठा लिया और थोड़े ही समय के अभ्यास के साथ क्या क्या बढ़िया तस्वीरें बनाई। उनमें से कुछ यहां साँझा कर रही हूँ। उनकी लेखनी की तरह ही उनकी तस्वीरों में भी एक कहानी छिपी रहती है, जिसका पढ़ने का इंतज़ार मुझे व्यक्तिगत तौर पर रहता है । फेसबुक पर मिलने वाले लाइक्स के पीछे इनकी दौड़ नहीं होती और न ही उस के चक्कर में कुछ भी लिख कर या बना कर परोस देती हैं।






इसके साथ साथ राजनीति पर भी अपनी पैनी नज़र बनाए रखती हैं। आजकल गार्डनिंग का भी बहुत शौक है इनको। बहुत से फूल पौधे लगाए हुए हैं अपने घर आँगन में इन्होंने। हर छोटी से छोटी बात में एक नायाब सी खुशी ढूंढ लेती हैं। निराशा भरे माहौल को आशा में बदल देती हैं। दोस्ती निभाना भी कोई इनसे सीखे। एक बार हम लोगों का दिल्ली जाना हुआ तो फरीदाबाद से दो दो मेट्रो बदल कर अकेली आईं हमसे मिलने। नहीं तो कभी कोई अपने शहर में भी ढंग से नहीं मिलता । 

और क्या लिखुँ ...यूँ ही बने रहिएगा। और सब को प्रेरणा देती रहें।

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