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Friday, January 11, 2019

"बेरोज़गारी "

लघुकथा




"बेरोज़गारी "



"देखने में तो अच्छे भले घर का लगता है ,पर भीख माँग रहा है "



"हाँ कोई मजबूरी रही होगी "



क्या पता, कोई बीमारी ही न हो , घर वाले भी परेशान हों और बीमारी की वजह से ये कुछ कर न पाता हो।



"अरे ऐसा कुछ भी नहीं है , कल किसी से यह कह रहा था कि स्नातकोत्तर डिग्री है इसके पास ,परन्तु बेरोज़गारी ने अपंग बना दिया। अब एक पढ़े लिखे व्यक्ति को नौकरी न मिले तो वो करे भी क्या ?"



वहां से गुजरता हुआ अपंग मज़दूर, उन लोगों की बातें सुन ,उस भिखारी की तरफ आश्र्यचकित तरीके से देखता हुआ आगे बढ़ता गया।



अमिता गुप्ता मगोत्रा

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