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Wednesday, March 27, 2019

वोट अपील

*Congratulations!* for being shortlisted for the next phase of *Women WRITE Now Competition* - *Voting Phase*.

Story : 'स्मृति अशेष'

Hello, I feel very happy to announce that I have been selected by StoryMirror for phase 2 of Women WRITE Now Competition. Now I need your support to win the competition.  Please visit this link: https://awards.storymirror.com/women-write/hindi/story/
Go to my name (You can search for my name in search bar) and click on vote button.
You will have to login to StoryMirror to vote for me. Please Vote!

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Thursday, March 7, 2019

महिला सशक्तिकरण


कोमल है कमज़ोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है....... क्या खूब पंक्तियाँ हैं इस गीत की।
हमारे देश में यूँ तो माँ दुर्गा की पूजा होती है जो कि एक शक्ति का ही रूप हैं। पर फिर भी महिला सशक्तिकरण की ज़रूरत आ पड़ी यहाँ। इसकी ज़रूरत क्यों आई  या फिर क्या ये हर वर्ग की औरतों के लिए ही चाहिए थी , क्या आज इससे हर महिला को लाभ मिल रहा है या फिर कहीं कहीं महिलाएं ही तो इसका दुरूपयोग नहीं कर रही ये सब जानना भी उतना ही ज़रूरी है। सदियों से यही रटी - रटाई बात दोहराई जाती है कि कहीं न कहीं महिला को कमतर आँका जाता है इस पुरुषप्रधान समाज में। इसमें १०० फीसदी झूठ भी नहीं है। महिलाओं के पास अधिकार होना तो दूर की बात होती थी उनको अपने अस्तित्व को साबित करना ही बहुत मुश्किल होता था। एक आम महिला की क्या बात करें रानियों - महारानियों को परदे में रहना पड़ता था।उनके लिए भी कानून राजमहल के राजकुमारों से भिन्न ही होते थे। शिकार पर जाना , युद्ध में जाना ये काम राजकुमारों के ही समझे जाते थे। समय समय पर कुछ राजकुमारियों ,वीरांगनाओं ने इस घिसे-पिटे नियम से उप्पर उठ कर काम किया।चलिए वापिस एक आम महिला पर आते हैं। समय के साथ साथ हमारे देश में भी बहुत से बदलाव आये महिलाओं के लिए।  बालिग होने पर ही शादी का अधिकार मिला , दहेज़ प्रथा ,सती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों के खिलाफ कुछ नियम बने जो की महिलाओं के लिए बहुत कारगर साबित भी हुए। पर क्या सचमुच इस सब से महिला सशक्तिकरण हो गया। जब तक पूरा समाज और खुद लड़कियां ये नहीं समझ लेती कि पढ़ाई लिखाई , खेल कूद , नौकरी करना , अपने विचार सबके साथ साँझा करना और ज़िन्दगी को अपनी नज़र से देखते हुए आगे बढ़ना  उनके लिए भी उतना ही जरुरी है जितना की लड़कों के लिए तब तक जितने मरज़ी कानून बनते रहें कोई फायदा नहीं होने वाला। जब तक इस सब की जानकारी हर अमीर गरीब , जाति पाती की लड़कियों तक नहीं पहुंचती ये सशक्तिकरण बस मुट्ठी भर लोगों के लिए ही रह जायेगा।

                                          हर सिक्के के दो पहलु होते हैं। तो इसके भी हैं।  कई जगह लड़कियां अपने लिए बने कानून का नाजायज़ फायदा उठती हैं और कुछ पुरुषों या ससुराल वालों को परेशान करती हैं। और फिर कानून ऐसे बने होते हैं कि लड़का या लड़के वाले कितना भी हाथ पाँव मार लें , सर पटक लें पर कानून के दाँव पेच में फँस ही जाते हैं। इस पहलु पर भी गौर करना अत्यंत ज़रूरी है।
                                         तो महिला सशक्तिकरण जितना जरुरी है उतना ही उसको ठीक तरीके से अपनाना भी।महिला ने किसी को साबित करके नहीं दिखाना की वो क्या है और क्यों साबित करना है किसको करना है ???? अगर लड़की अच्छा पढ़ी लिखी होगी , शारीरिक तौर पर बलशाली होगी , मजबूत व् पक्के इरादे होंगे तो वो अपने कोमल हृदय के साथ भी समाज को सिर्फ आईना दिखाने में ही सफल नहीं होगी बल्कि समाज को एक नए रूप में बदलने में कामयाब हो सकती है। देर है तो बस हर तबके तक इन चीज़ों को पहुंचने की और एक सन्देश की कि "कोमल है कमज़ोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझ से हारी है "

अमिता गुप्ता मगोत्रा 
 मौलिक रचना
Photo credit : INTERNET